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Sparrow : पर्यावरण के संरक्षण में गौरैया की भूमिका क्या है?

Sparrow : पर्यावरण के संरक्षण में गौरैया निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका

गौरैया भारत के वनों, उपवनों और कृषि प्रदेशों में पायी जाने वाली एक प्रसिद्ध पक्षी है। इसका चमकदार रंग और विशेष प्रकार की अभिव्यक्ति इसे अनुभवनीय बनाते हैं। इस लेख में, हम गौरैया के रूपरंग, पर्यावरण के संरक्षण में गौरैया की उपयोगिता और व्यवहार के बारे में विस्तार से जानेंगे।

    Sparrow : पर्यावरण के संरक्षण में गौरैया निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका
    Photo- गौरैया (Sparrow)

    गौरैया एक छोटा सुंदर पक्षी है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम "कुक्कबरा बुटियो" है और इसे "स्पॉटेड ओवरलैप विंग" के नाम से भी जाना जाता है। गौरैया भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में पाई जाती है, जैसे कि जंगल, खेत और गांवों के आस-पास। 

    गौरैया (Sparrow) : गौरैया की संक्षिप्त जानकरी

    गौरैया, पक्षी विज्ञान में "Sturnus" प्रजाति से संबंधित होती है। 
    • इसका वैज्ञानिक नाम "Sturnus" है और इसकी सामान्य विशेषता है उसके रंगीन पंख और मधुर गायन। 
    • यह लगभग 20 से 23 सेमीटर लंबी होती है  
    • उसका वजन लगभग 50 ग्राम तक होता है। 
    • गौरैया का जीवनकाल 3 वर्ष का होता है।
    • गौरैया का पुरुष और मादा दोनों का अलग-अलग रंगीन पंख होता है।
    • पुरुष के पंख चमकीले काले और चमकीले होते हैं। 
    • मादा के पंख हल्के भूरे रंग के होते हैं। 
    • ये पक्षी फल, कीड़े, कीटाणु और छोटे कीटाणु को खाने के लिए विशेषज्ञ होते हैं और इसलिए उनके आस-पास की प्राकृतिकता को संतुष्टि देने में मदद करते हैं।
    • यह पक्षी अपने अंडे एवं अपने बच्चों की देखभाल के लिए भी प्रसिद्ध है। 
    • गौरैया के अंडे एक धातुरों की मंडली में रखे जाते हैं, जो उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करती है। 
    • इस पक्षी की बच्चों की देखभाल में उसके जोड़ेदार जोड़े एक साथ काम करते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और विकास सुनिश्चित होता है।

    प्रकृति की कला - गौरैया की रंगत

    गौरैया छोटी, पतली पंखों और स्पॉटेड बोडी के साथ एक सुंदर पक्षी होती है। इसके पंख हरे और पीले रंग के होते हैं, जिनमें धूसरी रंग के छोटे धब्बे होते हैं।
    गौरैया का रंगीन पंख इसे बेहद खास बनाते हैं। इसके पंख पीले और हरे रंगों में चमकते हैं, जिससे गौरैया को देखने का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। इसके आंखों का रंग स्थानीयता के अनुसार बदल सकता है, जिससे यह और भी आकर्षक दिखता है। इसके पंखों में अलग-अलग गांठें होती हैं, जो इसे अभिनव बनाती हैं।

    गौरैया का व्यवहार

    गौरैया एक खुशमिजाज पक्षी है जो अपने अभिव्यक्ति से मनोहर बनाती है। इसके गायन और नृत्य देखने लायक होते हैं। इसके अलावा, गौरैया वातावरण के साथ अच्छे सम्बन्ध बना सकती है और अन्य पक्षियों के साथ भी मिलजुल कर सकती है। इसके अनोखे व्यवहार ने इसे लोगों के बीच पसंदीदा बना दिया है।
    गौरैया के पास एक अद्भुत ध्वनि होती है, जिसे वह अपने आस-पास के वातावरण में बातचीत के लिए उपयोग करती है। इसका आहवान सुनने में खूबसूरत होता है और लोग इसे अपनी मोहब्बत के अभिव्यक्ति के रूप में भी देखते हैं। गौरैया आम तौर पर बुद्धिमान और खुशमिजाज पक्षी मानी जाती है, और इसका वातावरण में संतुष्ट रहना उसकी प्रमुख विशेषता है।

    गौरैया का आवास

    गौरैया भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न प्रकार के आवास में पाई जाती है। इसका आवास उसके रंगीन रूप और विशेष व्यवहार के अनुसार विभिन्न भूभागों में हो सकता है। यह जंगलों, खेतों और नदी किनारों में पायी जा सकती है। इसका आवास प्राकृतिक और संरक्षित भू-भागों में होता है, जो इसे एक सुरक्षित और सुखद जीवन देता है।
    यह पक्षी अपने अंडे एवं अपने बच्चों की देखभाल के लिए भी प्रसिद्ध है। गौरैया के अंडे एक धातुरों की मंडली में रखे जाते हैं, जो उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करती है। इस पक्षी की बच्चों की देखभाल में उसके जोड़ेदार जोड़े एक साथ काम करते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और विकास सुनिश्चित होता है।

    गौरैया के जीवन की उपयोगिता

    गौरैया के जीवन में एक उपयोगी दायित्व है जो उसे एक महत्वपूर्ण पक्षी बनाता है। इसके पंखों के रंग उसे उसके आवास के रंग से मिलते-जुलते होते हैं, जो इसे आसानी से चिपका देते हैं और उसे अपने आस-पास के वातावरण से आस्था बना देते हैं। इसके गायन का आनंद लेने वाले लोग भी इसे प्राकृतिक संतुष्टि देते हैं और उसे अपने सुंदर संगीत से प्रेरित करते हैं।

    पर्यावरण के संरक्षण में गौरैया का योगदान

    गौरैया के प्राकृतिक आवास को बचाने और इस पक्षी को प्रशासनिक असुविधाओं से बचाने में संरक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए जनसंख्या और वातावरण संरक्षण के अधिकारियों को एक संबद्ध समुदाय बनाना अनिवार्य है। इसके लिए विभिन्न संगठनों और सरकारी नीतियों के माध्यम से गौरैया के आवास को संरक्षित किया जा सकता है और इसे वन्यजीवन में उत्कृष्टता का एक प्रतीक बना सकते हैं।

    FAQs 

    1Q. विश्व गौरैया दिवस कब मनाया जाता है?
      - विश्व गौरैया दिवस प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है।

    2Q. क्या गौरैया भारत के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी पाई जाती है?
      - हां, गौरैया कुछ अन्य देशों में भी पाई जाती है, जिनमें नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान शामिल हैं।

    3Q. क्या गौरैया को घरेलू पालतू पक्षी के रूप में पाला जा सकता है?
       - नहीं, गौरैया को घरेलू पालतू पक्षी के रूप में पाला नहीं जा सकता है। यह एक जंगली पक्षी है और इसके पालने के नियम और विशेषताएं उसे घरेलू बनाने के लिए अनुचित बनाती हैं।

    4Q. गौरैया के गाने की क्या विशेषता है?
       - गौरैया के गाने की विशेषता उसके आकर्षक स्वर और मधुर गायन में होती है। इसके गाने को सुनने से लोगों को प्राकृतिक सुखद भावना का अनुभव होता है।

    5Q. क्या गौरैया विभिन्न पक्षियों के साथ मिलजुल करती है?
       - हां, गौरैया विभिन्न पक्षियों के साथ मिलजुल कर सकती है और सामाजिक रूप से भी इसे अच्छी तरह से जानती है। इसका मिलना-जुलना और अन्य पक्षियों के साथ रहना उसके जीवन को रंगीन बनाता है।

    6Q.गौरैया के संरक्षण के लिए क्या किए जा सकते हैं?
       - गौरैया के संरक्षण के लिए हमें इसके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने और वन्यजीवन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पर्यावरण को बनाए रखने की जरूरत है। इसके लिए हमें वन्यजीवन संरक्षण संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और लोगों को इसके संरक्षण में शामिल करना चाहिए।

    7Q. घर मे गौरैया होने से क्या फायदा होता है?
      - जिस घर मे गौरैया अपना घोंसला बनाती है, उस घर की सभी नकारात्मक उर्जाओं का नाश हो जाता है, तथा घर का वास्तु दोष ठीक हो जाता है।

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